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द गर्ल इन रूम 105–६६

अध्याय 12

चार साल पहले

'मिल्क केक?' जारा ने कहा।

"हां। अलवर इसी के लिए फेमस है। तुम्हें एक बार चखकर देखना चाहिए।'

तीन घंटे की ड्राइव के बाद हमने दिल्ली से अलवर तक 150 किलोमीटर की की बैकसीट में मेरे पास बैठी थी, और खिड़की से बाहर ताक रही थी।

"वो क्या है? कोई किना "वो मेरा घर है।

"सच?"

"काश कि होता,' मैंने हंसते हुए कहा। वो अलवर का किला है, इसे पंद्रहवीं सदी में उस समय के राजा ने बनवाया था।'

"बहुत खूबसूरत है। तुम मुझे शहर घुमाओगे ना?" "हम यहां घूमने-फिरने के लिए नहीं आए हैं। वैसे, अगर तुम्हारा ससुराल यहां पर होगा तो तुम कभी भी

यहाँ आ सकोगी।' "ससुराल?" उसने हंसते हुए कहा। केशव, मैं जानती हूं कि मैं इस बात पर तुम्हें छेड़ती हूं, लेकिन तुम जो

कर रहे हो, वह बहुत क्यूट है।"

क्या?" 'मुझे अपनी फैमिली का हिस्सा बनाने की कोशिश।'

"बो तो तुम पहले ही हो। लेकिन तुम्हे याद है, मैंने तुम्हें क्या बताया था? मेरे पैरेंट्स के साथ कैसे बात

करनी है और यही सब?"

"नहीं।" "क्या?"

‘मज़ाक़ कर रही हूं। मुझे सब याद है। लेकिन मैं जैसी हू, वैसी ही रहूंगी। यदि उन लोगों को मुझे पसंद करना है तो बेहतर होगा कि वे मेरे वास्तविक रूप को ही पसंद करें, यह नहीं, जिसका दिखावा किया जा रहा है।' "जारा, कम ऑन ये लोग पैरेंट्स हैं। इनके सामने थोड़ा ड्रामा तो करना ही पड़ता है। "ओह, तो क्या रात को सोते समय में अपनी हॉट पैंट्स नहीं पहन सकती ?" "जारा, आर यू क्रेज़ी?"

'हा हा, रिलैक्स। इस बारे में ज़्यादा मत सोचो। वैसे भी मेरी पैरेंट्स लोग से बहुत बनती है। देखना, वे मुझे

प्यार करने लगेंगे।' "उनका बेटा तो पहले ही करता है, यह कहकर मैं उसकी तरफ झुका। "कोशिश भी मत करना, उसने ड्राइवर की ओर इशारा करते हुए कहा।

जारा ने मेरे पैरेंट्स के बंगले के बाहर लगी नेमप्लेट पढ़ते हुए अपने नीले-सफ़ेद दुपट्टे को एडजस्ट किया।

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